साहेब बाबा सिद्धादास
सत्नाम सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वामी जगजीवन दास कोटवाधाम, बाराबंकी के शिष्य परम्परा में साहेब दूलनदास धर्मे,धाम जिला रायबरेली के प्रिय शिष्य साहेब सिद्धादास थे । जिन्होंने सम्प्रदाय के अन्तर्गत अपनी त्याग और तपस्या के बल पर अच्छी ख्याति अर्जित की सिद्धादास का जन्म सं0 1845 के आस पास सुल्तानपुर जिला के अमेठी तहसील के अन्तर्गतग्राम पठकापुर में हुआ था। इनका नाम राम पियारे पाठक था। पिता का नाम तुलसी पाठक व अन्य दो बड़े भाइयों का नाम काली व निहाल पाठक था माता का नाम ज्ञात नहीं है। बाद में इनके पिताजी अपनी ससुराल ग्राम हरगाँव सुल्तानपुर में आकर रहने लगे। राम पियारे पाठक बचपन से ही संत स्वभाव के थे। एक बार ये गंगा स्नान को गयें वहाँ पर ये गंगा के तट पर बेहोष हो गये । पण्डा ने इन्हें डोली से घर भेजा। घर पर भी मूक बैठे रहते । पिता ने काफी झाड़-फूंक करायी पर ठीक न हुए, तो पिता किसी के बताने पर, इनको लेकर जगजीवन साहेब (कोटवाधाम) के पास पहुँचे । वहाँ से स्वामी जी ने इन्हें दूलनदास (धर्मे धाम) के पास भेजा। और उन्ही से गुरूमन्त्र लेने की आज्ञा दी। यह धर्मे आये और साहेब दूलनदास से गुरू मंत्र लेकर गुरू की सेवा के निमित्त घर से नित्य प्रति जाने लगे और अनवरत बारह वर्श तक गुरू की लंगोटी धोकर सेवा की तब परम् सदगुरू श्री साहेब दूलन दास ने प्रसन्न होकर उन्हे अनन्य सेवक व ईष्वर भक्त की उपाधि देकर आपको ऋद्धि सिद्धि प्राप्ति का वरदान दिया अतः आपका नाम सिद्धादास के नाम से विख्यात हो गया। अपने जीवन काल मे साहेब ने कई ग्रन्थों की रचना की जिसमे दोहावली, षब्दावली, बिरहसत, सत्नाम् आदि है। साहेब सिद्धादास के चमत्कारों की अनेकों कथाऐं हरगाँव व आस-पास के लोगों में व्याप्त है। तथा आज भी आने वाले भक्त व श्रद्वालू लोगों से पूछने पर उनके प्रत्यक्ष चमत्कार जो आज भी निरंतर जारी है। का पता चलता है। धाम में प्रत्येक आमावस्या व पूर्णिमा को मेला लगता है। कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति को बहुत बडा मेला लगता है। जिसमे लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। यह धाम उ0प्र0 के सुल्तान पुर (वर्तमान जिला अमेठी) जामो से 6के.मी. पष्चिम में हरगाँव नामक ग्राम में स्थित है।
भारत के महान संत सतनामी संत बाबा साहेब सिद्धादास |
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