महारानी कटारी पर समर्थ साहेब सिद्धा दास की कृपा
जन श्रुति कथा के अनुसार घटना लगभग 250 वर्ष पहले के आस पास की है जब महारानी कटारी की सारी संपत्ति षण्यन्त्र पूर्वक हथिया ली गयी राज पाट से वहिस्कृत महारानी ने साहेब सिद्धादास की शरन ली और साहेब के घर के सामने ही कुटिया बना कर रहने लगी और लखनऊ उच्चन्याय़ालय मे केस दायर किया आप बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी ईश्वरोपासना व भक्तों की देख रेख मे सदैव ही लगी रहती थी य़द्यपि साहेब ने कई बार अनुरोध किया कि आप महारानी हैं कुटिया मे रहना उचित नही आप मेरे घर मे ही परिवार के साथ निवास करें पर वह निवेदन पूर्वक कह देती अब जब आपकी कृपा से राज पाट वापस मिलेगा तभी छत के नीचे निवास करूँगी अन्यथा यह कुटिया ही ठीक है प्रभू समय बीतता गया एक रात महारानी ने स्वप्न देखा कि साहेब सिद्धा दास उन्हे उठा रहे हैं कि हे महारानी उठो और जाकर आदेश पत्र ले आओ आपकी विजय हुई है रानी ने प्रात: काल तुरंत ही उठ कर साहेब का ध्यान कर प्रणाम किया और साहेब के उठने की प्रतीक्षा करने लगी उठने पर रानी ने साहेब को प्रणाम किया तो साहेब ने पूछा कि आप अभी तक गई नहीं सेवा दारो के साथ निकल जाना चाहिए था इसीलिए तो उठाया था अब रानी ने आदेश मानते हुए सेवादारो के साथ पैदल लखनऊ जाकर विजय का आदेश पत्र ले आयी समय बीतने पर रानी ने भक्तों के हितार्थ अनेक कार्य किये ज़िनका उल्लेख यहां संभव नहीं महारानी कटारी ने कलकत्ता से चित्रकार बुलाकर साहेब के दो चित्र बनवाये थे साहेब के समाधिस्त होने के पश्चात एक चित्र समाधी मे रखा गया तथा दूसरा मूल चित्रआज भी पूना मे एक ब्राम्हण परिवार के पास सुरक्षित है जो ग्राम बस्ती देई निकट भटगवां के मूल निवासी हैं
सभी भक्तों की ओर से माहारानी कटारी को श्रद्धान्ज़ली व उनके वंशजो को शुभ कामनाये ज़िनके सतकर्म स्वरूप साहेब सिद्धा दास का वास्तविक चित्र भक्तों के लिए उपलब्ध हो सका
शुभ सतनाम, बन्दगी
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