सतनामी परंपरा के अनुसार यहाँ पर भी विभूति एवं पोतना (एक वस्त्र जिससे समाधि की सफाई की जाती है) भक्तों को दिया जाता है। विभूति सबको दिया जाता है किन्तु पोतना निवेदन कर माँगने वालों को ही दिया जाता है। धाम पर आने वाळे बुजुर्गों व महन्त परिवार से मिली जानकारी के अनुसार भक्त विभूति व पोतने को अग्रलिखित रूप में प्रयोग करते है।
1. बीमारी की अवस्था में विभूति माथे पर लगाना व खिलाना
2. पुरानी बीमारी होने पर विभूति एंव पोतना ताबीज मे डालकर पहनना।
3. भूत प्रेत की आषंका होने पर तवीज मे विभूति एंव पोतना डालकर पहनना।
4. बंध्या दोशो के लिये ताबीज मे डालकर पहनना।
5. विद्यार्थी लोग भी इसी तरह पहनते है।
6. झूठे मुकदमे, षिक्षा मे मेहनत के बावजूद असफलता, नौकरी पाने या दुर्भागय के विनाष, दरिद्रता के विनाष के लिये लोग विभूति एंव पोतना धारण करते है ।
7. किसान लोगो मे भी ऐसी मान्यता है कि बुवाई के समय वीजों मे थोडी विभूति मिला देने से खेत मे अधिक अनाज होता है। और रोग व कीडे नही लगते।
8. किसान पषुओं को भी रोग आदि से बचाने के लिये विभूति पहनाते है।
9. कलह कारी दाम्पत्य जीवन से बचने के लिये भी महिलाये गले मे विभूति धारण करती है।
ये परंपरा संभवता साहेब के समय से ही चली आ रही है तथा इस लेख का तात्पर्य श्रद्धालु भक्तो को सत्य से अवगत कराकर लाभान्वित करने के उद्वेष्य से है कोई अभक्त व नास्तिक इसे अन्य अर्थ में लेते हैं तो साहेब उन्हे क्षमा करें।
साहेब,सतनाम,कोटि -2 बन्दगी
जिन ढूंढा तिन पाइंया, गहरे पानी पैठि, मै बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठि।।
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Tuesday, 17 October 2017
विभूति के चमत्कार
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