एक बार साहेब झामदास ने बाबा सिद्धादास की परीक्षा लेनी चाही, क्योंकि दोनों ने साथ-साथ सिद्धि प्राप्त की थी । बाबा सिद्धादास अपने यहाँ पागल नही रखना चाहेते थे । वह इसीलिए कि यह धाम गाँव के मध्य में है तथा पागल गन्दी गाली देते है तथा उपद्रव मचाते हैं । इसी को सोचकर बाबा सिद्धादास नेएक पागल झामदास के यहाँ भेज दिया । झामदास को इनकी षक्ति पर सन्देह हुआ, जिससे परीक्षा लेने के लिए उस पागल को झाामदास ने वापस भेज दिया । साहेब पागल को वापस आया देखकर सब समझ गये । इन्होंने इस बार उस पागल के साथ एक पहलवान भेजा और उसे आदेष दिया कि तुम वहीं रहकर पागलों को-ठीक करना । वह जाकर वहाँ बरगद के पेड़ पर रहने लगा और अपना कार्य करने लगा । जब इस रहस्य को साहेब झामदास ने ज्ञान दृश्टि से जाना तो बाबा सिद्धादास की षक्ति पर विष्वास आया । आज भी वह पहलवान बरगद के पेड़ पर रहकर पागलों को ठीक करता है ।
No comments:
Post a Comment