卍 ॐ सिद्धा सतगुरू नमो नमः सिद्धा साई नमो नमःl दुलन प्यारे नमो नमः सब सुख दायी नमो नमःll 卍

Wednesday, 18 October 2017

भक्त की दही

एक बार एक भक्तअपने घर से साहेब के खाने के लिए दही लेकर चला घर से वह यह सोचकर चला कि मैं दोपहर के भोजन के समय साहेब की दही पहुँचा दूँगा संयोग से उस दिन रसोई कुछ पहले तैयार हो चुकी थी अतः इधर साहेब को भोजन के लिये बुलावा हो गया साहेब दरवाजे पर खड़े किसी के आने का इन्तजार कर रहे थे और फिर यकायक भेजन पाने चले गये साहेब जब भेजन करके निकले, तो दरवाजे पर एक भक्त ब्राह्मण खड़ा था, इन्हें देखते ीवह भा-विभोर होकर चरणों में गिर पड़ा साहेब ने उसे उठाकर कुषल-क्षेम पूँछा, पर वह बेचैन और उखड़ा-उखाडा था, उसने साहेब से कहा -‘साहेब ! आपतो अन्तर्यामी हैं, आप से क्या बताऊँ ? साहेब बोले तुम चिन्ता मत करो, तुम्हारा दही मुझे मिल चुका है और मैंने उसे पा भी लिया है भक्त बोला, साहेब ! वह दही तो रास्ते में मटकी के फूट जाने से बह गया, भला आपने कैसे पा लिया साहेब बोले, दही हमारे पास पहुंच गया और अगर तुम्हें विष्वास नही है, तो तुम्हारी मटकी हमारे पास है इतना कहकर साहेब ने घर सेमटकी मंगवायी अपनी ही मटकी को वह फटी-फटी सी आँखो को देखता रहा और नही मन साहेब के इस अलौकिक चमत्कार से अह्नादित होता रहा तथा अपने की धन्य माना इस घटना से सम्बन्धित भक्त के खान-दान के लोग आज भी इस दिव्य घटना की चर्चा बड़े प्रेम से करते है

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