एक बार हरगाँव के राजा श्री प्रताप बहादुर सिंह एस.डी.एम. मुसाफिर खाना की अदालत में अपने मुकदमे की पैरवी में सुलतानपुर गये । वे जब वहाँ पहुचे तो तारीख दे दी गयी । पता चला कि एस.डी.एम. साहेब को लड़का बहुत सख्त बीमार है । यह सुनकर जब राजा साहेब एस.डी.एम. साहेब के बगले पर पहुँचे तो वहाँ डाक्टरों की भीड़ लगी थी । डाक्टर लोग बहुत ही परेषान नजर आ रहे क्योंकि बच्चे की हालत बहुत गम्भीर थी, जो काबू में नहीं आ रही थी । राजा साहेब ने बच्चे को देखा और फिर एस.डी.एम. साहेब से बोले-यदि आप हमें आधा घण्टा का समय दे दें, तो आपका लड़का ठीक हो सकता है । एस.डी.एम. साहेब ने इनकी बात मानकर मौका दिया । राजा ने साहेब की विभूति अपने जेब से निकालकर लड़के के मुंह में डाल दी तथा लड़के को चादर से ढक दिया और किसी को पास जाने से मना कर दिया । थोड़ी देर बाद वह बच्चा बिलकुल स्वस्थ हो गया । एस.डी.एम. ने राजा से इस चमत्कारिक ढंग से बच्चा को ठीक हो जाने का कारण पूछा तो इन्होंने बाबा साहेब के बारे में बताया । ऐसे चमत्कारिक सन्त के बारे में सुनकर एस.डी.एम. साहेब धाम हरगाँव आये ।
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